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ग्रीन कार्ड और असाइलम की प्रक्रिया

अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने के लिए भारतीय माता-पिता द्वारा बच्चों को बॉर्डर पर छोड़ना

हाल ही में एक चौंकाने वाली प्रवृत्ति सामने आई है जिसमें भारतीय माता-पिता, विशेषकर गुजरात के ग्रामीण इलाकों से, अमेरिका में ग्रीन कार्ड या स्थायी निवास पाने के लिए अपने छोटे बच्चों को अमेरिका के बॉर्डर पर लावारिस छोड़ रहे हैं। यह प्रवृत्ति 2022 से 2025 के बीच तेज़ी से बढ़ी है और अमेरिका की बॉर्डर अथॉरिटीज ने अब तक 1600 से अधिक भारतीय नाबालिग बच्चों को बिना वैध दस्तावेजों के पकड़ा है।

कैसे हो रही है यह अवैध एंट्री?

इन मामलों में आमतौर पर माता-पिता पहले अवैध रूप से अमेरिका में घुस जाते हैं। इसके बाद वे अपने बच्चों को अलग-अलग माध्यमों से बॉर्डर तक भेजते हैं और वहीं उन्हें छोड़ दिया जाता है। बच्चों के पास सिर्फ उनके माता-पिता की संपर्क जानकारी होती है। जब अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां इन बच्चों को पकड़ती हैं, तो वे उस जानकारी के आधार पर माता-पिता से संपर्क करती हैं।

ग्रीन कार्ड और असाइलम की प्रक्रिया

इस पूरी योजना का उद्देश्य अमेरिकी शरण (Asylum) प्रणाली का लाभ उठाना होता है। जब बच्चे अमेरिका में होते हैं, तो माता-पिता यह दावा करते हैं कि उनका बच्चा पहले से अमेरिका में है और वे उससे मिलने के लिए शरण चाहते हैं। अमेरिका की मानवतावादी नीतियों के चलते, ऐसे मामलों में असाइलम मिल भी जाता है।

गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक मामले

यह प्रवृत्ति विशेष रूप से गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जा रही है, जहां लोगों में अमेरिका जाने की तीव्र इच्छा है। कुछ परिवार तो पहले अपने बच्चों को भेज देते हैं और फिर उन पर आधारित शरण की अर्जी लगाते हैं। यह एक सुनियोजित और खतरनाक प्रक्रिया है जिसमें नाबालिग बच्चों की जान जोखिम में डाल दी जाती है।

डॉनल्ड ट्रंप की सख्त नीतियाँ

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सरकार के दौरान इस तरह की प्रवृत्तियों पर काफी हद तक रोक लगी थी क्योंकि उनकी इमिग्रेशन नीतियाँ बहुत सख्त थीं। लेकिन सरकारों के बदलने के साथ-साथ नीति में ढील आने पर ऐसे मामलों की संख्या दोबारा बढ़ने लगी है।

क्या कहता है यह हमारी सोच के बारे में?

यह पूरी घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि एक बेहतर भविष्य की तलाश में लोग किस हद तक जा सकते हैं। अपने बच्चों को जानबूझकर अनजान जगहों पर लावारिस छोड़ना न केवल गैरकानूनी है बल्कि नैतिक दृष्टि से भी बेहद चिंताजनक है।

आवश्यक है कि ऐसे मामलों पर भारत और अमेरिका दोनों की सरकारें मिलकर ठोस कदम उठाएं ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और इमिग्रेशन प्रणाली का दुरुपयोग न हो। साथ ही, समाज को भी यह समझने की ज़रूरत है कि अवैध तरीके से विदेश जाना किसी भी दृष्टिकोण से सुरक्षित और उचित विकल्प नहीं है।

अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने के लिए छोड़े जा रहे भारतीय बच्चे

इंडिया के पेरेंट्स अमेरिका में घुसने के लिए अपने छोटे-छोटे बच्चों को अमेरिका के बॉर्डर पर लावारिस छोड़ रहे हैं।

2022 से 2025 तक अथॉरिटीज ने 1600 से ज्यादा इंडियन माइनर्स को इललीगली अमेरिका में एंटर करते हुए पकड़ा है। इन बच्चों के पास सिर्फ अपने पेरेंट्स की कांटेक्ट डिटेल्स मिलती हैं।

बेसिकली ऐसा हो रहा है कि अमेरिकन ग्रीन कार्ड पाने के लिए पेरेंट्स पहले खुद इललीगली अमेरिका जाते हैं और फिर अपने बच्चों को भी बुलाकर बॉर्डर पर छोड़ देते हैं।

जब अथॉरिटीज इन्हें पकड़ती हैं, तो उनके पास मिली कांटेक्ट डिटेल्स से उन्हें पेरेंट्स से मिला दिया जाता है और असाइलम की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है।

यह ट्रेंड खासकर गुजरात के रूरल एरियाज में कॉमन होता जा रहा है, जहां कुछ फैमिलीज तो पहले बच्चों को अमेरिका भेज देती हैं और फिर यह दावा करती हैं कि बच्चा पहले से अमेरिका में है और उसी आधार पर असाइलम अप्लाई करती हैं।

डॉनल्ड ट्रंप के अंडर शायद यह जल्दी रुक जाए लेकिन यह सोचने वाली बात है कि अमेरिकन ग्रीन कार्ड पाने के लिए लोग किस हद तक जा रहे हैं।

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