Monsoon || मानसून क्या होता है|| भारत में मानसून कब आता है

भारत में मानसून की शुरुआत: एक असामान्य बदलाव

आमतौर पर भारत में मानसून की दस्तक जून के महीने में होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन की वजह से मानसून के आने और लौटने के समय में बदलाव देखने को मिल रहा है।



हाल ही में भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि दक्षिण पश्चिम मानसून प्रणाली के 13 मई के आसपास दक्षिणी अंडमान सागर, दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों और निकोबार द्वीप समूह में आगे बढ़ने की उम्मीद है। यह आगमन अपेक्षाकृत पहले है और मौसम विशेषज्ञों द्वारा इसे असामान्य बताया जा रहा है।

आईएमडी के पास केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक समर्पित मॉडल है। इस लेख में मानसून से संबंधित विविध पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई है।

मानसून क्या है?

मानसून शब्द अरबी शब्द 'मौसम' से लिया गया है, जिसका अर्थ है मौसम। यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में 20° उत्तर और 20° दक्षिण अक्षांश के बीच अनुभव किया जाता है। मानसून की विशेषता मौसमी हवाओं की दोहरी प्रणाली है, जिसका प्रवाह ग्रीष्मकाल में समुद्र से स्थल की ओर तथा शीतकाल में स्थल से समुद्र की ओर होता है।

मानसून की क्रियाविधि

मानसून आमतौर पर 100 से 120 दिनों तक रहता है, जो जून के आरंभ से सितंबर के मध्य तक चलता है। इसके आगमन के दौरान अचानक वर्षा की वृद्धि देखी जाती है, जिसे कई दिनों तक लगातार महसूस किया जा सकता है। मानसून दो शाखाओं में विभाजित हो जाता है: अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा। ये दोनों शाखाएं उत्तर-पश्चिम भारत के गंगा मैदानों में विलीन हो जाती हैं।

मानसून को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक

मानसून पर कई भौगोलिक और वातावरणीय कारक प्रभाव डालते हैं, जैसे विभेदक तापन और शीतलन, जेट स्ट्रीम की गति, अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) का स्थानांतरण, मेडागास्कर के पूर्व का उच्च दबाव क्षेत्र और तिब्बती पठार का गर्म होना। इन सभी कारकों का सम्मिलित प्रभाव मानसून की दिशा और ताकत तय करता है।

एल-नीनो, ला-नीना और जेट स्ट्रीम का प्रभाव

एल-नीनो और ला-नीना जैसी घटनाएं भी मानसून को प्रभावित करती हैं। एल-नीनो से वर्षा में कमी आती है, जबकि ला-नीना वर्षा में वृद्धि करती है। साथ ही हिमालय के ऊपर बहने वाली जेट स्ट्रीम हवाएं मानसून की उत्पत्ति में अहम भूमिका निभाती हैं।

मानसून का भारत पर प्रभाव

भारत की 64% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और यह वर्षा पर निर्भर करती है। यदि मानसून समय पर और पर्याप्त हो तो यह कृषि उत्पादन, रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है। वहीं, मानसून की विफलता से सूखा, बाढ़, फसल क्षति और जलजनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

भारत का अधिकांश कृषि उत्पादन मानसून पर निर्भर है। हाल के वर्षों में मानसून के आगमन और वापसी के पैटर्न में बदलाव देखा गया है, जिसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यदि ये बदलाव स्थायी हुए तो भारत को इसके लिए तैयार रहना होगा और प्रभावी नीतियों को अपनाना होगा।

चर्चा का विषय

आप इस बात से कहां तक सहमत हैं कि मानवीय भूदृश्य के कारण भारतीय मानसून का व्यवहार बदल रहा है? चर्चा करें।

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